आमुख
आमुख
‘मेरा तालचेर’ कविता-संग्रह तालचेर के स्थानीय कवियों की कविताओं का एक अनूठा संकलन है, जिसमें देश-भक्ति तालचेर के इर्द-गिर्द कोयलांचल की औद्योगिक गतिविधियों,पर्यावरण तथा छिन्न-भिन्न होते सामाजिक रिश्तों के कथानकों का उल्लेख है।
यह कविता-संग्रह ओडिया भाषा के वरिष्ठ साहित्यकारों,लेखकों तथा कवि-कवयित्रियों के सान्निध्य में ‘मने पकाओ’ नामक तालचेर
की गैर सरकारी साहित्यिक
संस्था द्वारा स्थानीय कवियों को पंद्रह अगस्त तथा छब्बीस जनवरी को कविता पाठ करने
का अवसर पर
उनके द्वारा गाई हुई कविताओं पर वरिष्ठ आलोचकों द्वारा तत्काल प्रतिक्रिया व समीक्षा वाचन कर नवोदित रचनाकारों को पल्लवित होने का अवसर प्रदान करने के लिए उठाया गया एक सार्थक कदम है, जिससे नवोदित रचनाकार अपने स्तर की जांच कर उसमें और
सुधार लाने का प्रयास करते हुए अपनी साहित्यिक यात्रा को सुरुचिपूर्ण बनाते हुए सफल
बना सकते हैं। विरंचि महापात्र
द्वारा संस्थापित इस साहित्यिक संस्था की समाज निर्माण की भूमिका में अभूतपूर्व योगदान है। मैं विगत तीन वर्ष में यहाँ आयोजित इन राष्ट्रीय पर्वों के उपलक्ष में आयोजित कवि
सम्मेलनों में भाग लेता रहा हूँ, अतः यहाँ के
कई प्रभावशाली सृजनधर्मियों में श्री अरुण शंकर मिश्र, श्री देवी
प्रसाद रथ, श्री प्रशांत रथ, श्री विरंची महापात्र,श्री ब्रह्मा शंकर मिश्रा
जैसे वरिष्ठ कवियों तथा ॐ ईश्वरी कविकन्या,गुरु राउतराय, हेमंत कुमार खूंटिआ जैसे
समकालीन युवा कवियों से मेरी अंतरंगता बढ़ती चली गई। इन सभी कवियों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करना ही इस कविता-संग्रह के सम्पादन का परिणाम है।
इस संग्रह की सारी कविताओं का अनुवाद मेरी सहयोगी
शाश्वती नाएक ने बहुत ही सुंदर ढंग से किया है, जो हिन्दी भाषा की
प्रकृति के एकदम अनुकूल है। हिन्दी भाषा की कुछ प्रचलित शब्दों के प्रयोग
करने के साथ-साथ कुछ जगहों पर व्याकरणिक त्रुटियों जैसे समास,विभक्ति, संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया आदि का संशोधन अवश्य मेरे द्वारा किया गया है, मगर इसमें
कोई संदेह नहीं है कि कविताओं की मौलिकता का पूरा-पूरा ध्यान अनुवादिका ने रखा है।
मैं आशा करता हूँ कि तालचेर की शाश्वती नाएक द्वारा
अनूदित कविता-संग्रह ‘मेरा तालचेर’ हिन्दी पाठकों को अपनी तरफ अवश्य बरबस आकर्षित करेगा
और साथ-साथ, ओड़िशा की औद्योगिक भूमि तालचेर की सांस्कृतिक, आर्थिक,धार्मिक पृष्ठभूमि के पुरातन व नवीन तत्त्वों के बारे में सोचने समझने के लिए
हिन्दी जगत के विपुल पाठक वर्ग के सम्मुख एक विशाल कैनवास प्रस्तुत करेगा। हमें पाठकों की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी। इस कविता-संग्रह की सफलता की प्रार्थना करते हुए अनुवादिका के उज्ज्वल भविष्य की कामना
करता हूँ।
दिनेश कुमार माली
राजभाषा अधिकारी
लिंगराज
खुली खदान,महानदी
कोलफील्ड्स लिमिटेड
तालचेर,जिला:-अंगुल
(ओड़िशा)
पिन
759100
मोबाइल:- 09437059979
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