39 - पवित्र मोहन की याद में / मूल ;- अजय कर


39 - पवित्र मोहन की याद में
मूल ;- अजय कर
प्रज्ज्वलित शिखा दुनिर्वार दीक्षा
चिर विप्लवी प्रजा-प्राण
अवतरित हो, हृदय में कर प्रवेश
निर्मूल करो कालिमा हमारी ।
करते हम आवाहन, हे दिव्यात्मा!
चरणों में समर्पित कोटि प्रणाम
तालचेर के खनिज, पानी-पवन
'पोइमाल' बही में शुभनाम
  सुना कानों से, पढ़ा किताबों में
अंग्रेजों की नरक-यंत्रणा
यह तालचेर की भाग्य-विडम्बना ।
 बंधुआ-मजदूरी, बेकारी और अनेक अत्याचार
अंधा-शासन यातना
इस धरती के मनुष्य भूखे
प्रतिदिन भोग रहे प्रताड़ना ।
 ‘पवित्र मोहनअक्षय महान
प्रजामण्डल की वह्नि शिखा
पवित्र पथ पर ले मुक्ति-मशाल
भभक उठी थी अग्नि शिखा ।

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