31-गणतन्त्र / जितेंद्र महापात्र
31-गणतन्त्र
-जितेंद्र महापात्र
निर्जन रास्ते का पथिक संशय में क्या उत्तर देगा
?
एक लंबे गणतन्त्र को
पकड़ कर रखा है
गांव का गांधी आज
शहर का अन्ना ।
दुर्नीति,भ्रष्टाचार,बेईमानी की भाषा
हर तरफ केवल लूटपाट
खनिज लूट,पानी लूट,शिक्षा लूट, स्वास्थ्य लूट,
लूट गुवाहाटी के
राजरास्ते
लूट पिप्पली के
राजरास्ते
लूट कंध आदिवासी के
लूट माओवादी का हक
निर्जन रास्ते का पथिक
संशय में क्या उत्तर देगा ?
सभी चलते रहेंगे
गणतन्त्र की बाट पर
आज तो चल नहीं सकते
विश्वास की बैलगाड़ी
पर
बहुत दिनों से
विश्वास किया इस गणतन्त्र में
गणतन्त्र का स्तंभ
आज दुर्बल, शक्तिहीन,निर्वाक
वह तो खुद अपनी
रक्षा नहीं कर पा रहा है,
कोटि कोटि इस जनता
का बोझ उसके
दुर्बल सीने के ऊपर कैसे
ढोएंगे
निर्जन रास्ते का
पथिक संशय में क्या उत्तर देगा ?
गणतन्त्र में अभी
बाढ़ का भय
कभी माओवादी का आतंक
कभी भ्रष्ट राजनेताओं के
कर्षण में डूबता
गणतन्त्र ।
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