28-पूर्व की प्रस्तुति / -करुणाकर दास
28-पूर्व की प्रस्तुति
-करुणाकर दास
पूर्व दिशा में सूर्योदय होने पर
होगा नया वर्ष
वन’खेत’नदी’पहाड़ और भूमि
मन में लाती हर्ष ।
मनुष्य प्रतीक्षा
में बैठे हैं
खाने को मद्य-मांस
पुराने साल को विदा
देते
निरीह प्राणियों को
मार कर
बकरी,मुर्गे भय से
पुकारते
बचाओ, बचाओ चक्रधारी ।
पुराना न जाए, नया न आए
रहे हमारे प्राण
जीवों के प्रति दया
नाम स्मरण
कहते प्रति दिन
मुंह से कहने पर
क्या होगा
करनी में दिखावे पर
तो ।
आओ, आओ मानव गण
देंगे
हम प्रमाण
कसाई न बन, वैरागी होंगे
आनंद से काटेंगे दिन
।
नहीं कह रहा आपको
जपने के लिए जपमाला
नारियल की तरह खुद
को बनाने से
बनोगे एक दिन फूल ।
साल में सभी कहते
विश्व का हो मंगल
बकरी मुर्गे क्या इस
विश्व से बाहर
बली चढ़ते हैं सारे
दिन ।
कार्तिक आने से व्रत
करते
उपवास में कटते दिन
।
श्रावण के महीने में
धार्मिक बनते
कंधे पर रखकर पानी
का भार
एक दो महीने साधु हो
जाने से
कम होगा क्या पाप का
भार ?
हिन्दू नारी मेरी
माँ बहनें
घर को बनाओ मंदिर
आचरण तुम अपना बदलो
वस्त्र को करके नजर
हर दिन पढ़ने से गीता
भागवत
जीवन होगा सुंदर
इतना ही मेरे प्रभु
से प्रार्थना
कर रहा हूँ हाथ जोड़
असत्य,अन्याय,अधर्म नहीं रहे
जीवन का कर शृंगार ।
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