2-तुम और हम / देवी प्रसाद रथ


2-तुम और हम
देवी प्रसाद रथ 
तुम खोजते हो मंगल पर जीवन
हम करते हैं जीवन में मंगल का अनुसंधान
तुम खोजते हो चंद्रमा की भूमि पर जल
हम खुश होते हैं पानी में चंद्रमा की परछाई देखकर
तुम देखते हो निर्लज्ज नारी का दन
हम जानते हैं लज्जा हीं नारी का आभूषण
तुम मानते हो दांपत्य  एक अनुबंध
हम मानते हैं दांपत्य एक पवित्र बंधन
फिर भी आशा रहती है होने का समान
(इसलिए) वसुधैव कुटुंबकम् हमारा दर्शन ।










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