17-भूल हो गई, नेताजी - सुनील कुमार सिंह


 17-भूल हो गई, नेताजी
- सुनील कुमार सिंह
परिवार का दुख दूर करने के लिए
माँ, तुलसी के नीचे हर दिन
करती दिया और बाती ।
धर्म-अधर्म न सहकर
पापा हर दिन
घर के बरामदे में बैठकर पढ़ते
भागवत गीता ।
मेरी पत्नी असहाय भूख की विकलता से
कढ़ाई में भूजती कड़वा करेला
हमारे शहर के राजनेता
शहर में घूम-घूमकर काटते फीता
हँसते-हँसते कहते हम राजनेता ।
जनता की सेवा करते-करते
पावों से घिस गई चप्पल
हम तो बैठे हैं पाँच साल तक
जनता के सेवा करने के लिए राजनेता ।
भाषण से हम गढ़ेंगे जनता का भविष्य
वोट के समय जनता
हमारे पीछे आओ
वोट जीतने के बाद
हमारे बगीचे में घास काटना
नहीं रहोगे कभी तुम एक दिन भी भूखे ।

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