15-भारत माता / अमिय रंजन नायक
15-भारत माता
अमिय रंजन नायक
चिन्मयी रूपी भारत
माता
मधुमय जिसकी हंसी
वेदना पूर्वक जन्म दिया
कितने वीर पुरुषों को ।
जिनके आँसू भरे आँचल
को
खींचे गोरे लोगों ने,
वीरप्रताप सामने आ
गए
कांपने लगा सारा देश
।
माँ के महत्त्व रखने
के लिए
छाती को पत्थर किया
खून गिरा, मगर आँसू नहीं गिरा
उचित जवाब दिया ।
इस माँ के लिए उसकी
संतान
आँखों से नींद खोकर
सात सपनों को सार्थक
किया
जीवन में आग लगाकर ।
बारह साल का छोटा-बच्चा
जो धूल में लेट गया
चांदी की कागज पर
सोने की अक्षरों से
अम्लान कीर्ति अर्जन
किया ।
साँझ-सुबह छोटा विहंग
उसके लिए कविता गाता
है
उसका पानी, पवन, नदी-कानन
तपस्वी का मन मोहकर ।
कला-संस्कृति गढ़ी हमने
चकित होगा नर
अन्य देश के कला-भास्कर
उससे हुई रूपांतर ।
फिर भी आज पक्षी के
कंठ-स्वर
बेसुरे बन जाते हैं
प्रताड़ित
संतान के लिए
माँ के आँसू झरते
रहते हैं ।
कला-संस्कृति हर दिन होता है
नर के हाथ में
छारखार
बम-वर्षा की आतिशबाजी
थर्राती माँ की छाती ।
समाधि ताल-वज्र निघोष
सिंह गर्जन
अब और नहीं
माँ की आँखों से
आँसू
कायरों को दिखते
कहाँ ?
सभी के लिए दर्द
जहां
उसका मान रखो सभी
लोतक बदन में खिलती
थोड़ी गरल हंसी ।
Comments
Post a Comment