10-तीन कविताएं / ( - गोपाल कृष्ण मिश्र)


10-तीन कविताएं
( - गोपाल कृष्ण मिश्र)
1.     लाडला  
रेखा खींच देने से सौगंध में
आग लगा देने से संबंध में
रास्ता बंद करने से विश्वास में
अविश्वास लाने से ममता में
माँ हँस देती है
लाडले बेटे की शरारत समझ कर ।
 
2.आश्वासन
गुम हो गई है कलम
फट गया है कागज
गिर गई है स्याही
कैसे लिखूँ चिट्ठी
कहो तुम्हारे लिए
प्यार भरे संबन्धों के
स्मृति ठौर की
 

3. एकांत
मैं नहीं समझ पाई
चपलता शैशव की
उन्माद कौमार्य का
मादकता यौवन की
वार्तालाप बुढ़ापे का
वयस के बोझ से
सब-कुछ इस तरफ उस तरफ
आँख बंद करके
सोने के बाद
समझ जाऊँगी जीवन का मतलब एकांत

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